एलपीजी गैस का विकल्प खोजने का वक्त आ गया है।
करवा
चौथ – प्रेम – तपस्या – दीर्घायु का प्रतीक पर्व,
परन्तु किचन और आपका घर एक गैस
चैम्बर बनने से रोके।
LPG रसोई
गैस के इस्तेमाल से पूरे घर / फ्लैट में इतना प्रदूषण होता है कि जिसे मानकों के
हिसाब से - किसी भी जीवित जीव के लिए एक गैस चैम्बर है।
-डा.राम बजाज
आज के
समय में ऐसा शायद ही कोई घर होगा जहां एलपीजी गैस के इस्तेमाल से खाना ना बनता हो] खाना
बनाने वाले गैस को मुद्दा बनाकर राजनीतिक पार्टियां भी खूब राजनीति करती है] लेकिन
क्या आप जानते हैं कि यह एलपीजी गैस आपके स्वास्थ्य के लिए कितना हानिकारक है] सबसे
खतरनाक बात यह है कि इस गैस पर बने खाने से आपको नुकसान नहीं है] उससे
ज्यादा नुकसान है किचन में इस गैस के जलने से होता है] अगर आप
बड़े शहरों के अपार्टमेंट या फ्लैट में रहते है तो यह आपके लिए और भी ज्यादा खतरनाक
है। दरअसल, ऐसे
घरों में किचन इनडोर और ओपन होता है, ऐसे में एलपीजी गैस से निकलने वाला प्रदूषण पूरे घर में फैल जाता है और घर में
रहने वाले इंसानों को समय के साथ बीमार बना देता है।
क्या कहती है हमारी रिसर्च
हमारी रिसर्च के
अपने शोध में पाया कि गैस के इस्तेमाल से घर में इतना प्रदूषण हुआ जिसे मानक के
हिसाब से किसी भी जीवित जीव के लिए सही नहीं माना जा सकता है। खास तौर से इंसानों
के लिए तो बिल्कुल नहीं। इस रिसर्च के BITS के इंजीनियर नरेन्द्र सक्सेना - जो हाल में कैलिफोर्निया
में रहते है - का कहना है कि हम आज एक ऐसे दहन उपकरण (घरों में जलने वाला गैस) के
आदि हो गए है, जिसे
घर के अंदर नहीं होना चाहिए था। इसी रिसर्च में बताया गया है कि घर में गैस जलाने
से नाइट्रोजन डाइआक्साइड और कार्बन मोनोआक्साइड गैस निकलती है, वो
बेहद खतरनाक है। रिपोर्ट में कहा गया कि जिन घरों में एलपीजी गैस का इस्तेमाल
ज्यादा किया जाता है, वहां
अस्थमा की बीमारी होने का खतरा 42 फीसदी और बढ़ जाता है।
एलपीजी
गैस का विकल्प खोजने का वक्त आ गया है।
-डा.राम
बजाज
आज हम
एक ऐसे दहन (होलिका दहन) गैस के आदि हो गए है,जिसे
घर के अन्दर होना ही नहीं चाहिए था। -डा.राम
बजाज
हमारी
गृहणियों के लिए यह एक खतरे की घण्टी है।
-डा.राम बजाज
हमारी रिसर्च के अपने शोध में पाया कि गैस के इस्तेमाल से घर में इतना प्रदूषण हुआ जिसे मानक के हिसाब से किसी भी जीवित जीव के लिए सही नहीं माना जा सकता है। खास तौर से इंसानों के लिए तो बिल्कुल नहीं। इस रिसर्च के BITS के इंजीनियर नरेन्द्र सक्सेना - जो हाल में कैलिफोर्निया में रहते है - का कहना है कि हम आज एक ऐसे दहन उपकरण (घरों में जलने वाला गैस) के आदि हो गए है, जिसे घर के अंदर नहीं होना चाहिए था। इसी रिसर्च में बताया गया है कि घर में गैस जलाने से नाइट्रोजन डाइआक्साइड और कार्बन मोनोआक्साइड गैस निकलती है, वो बेहद खतरनाक है। रिपोर्ट में कहा गया कि जिन घरों में एलपीजी गैस का इस्तेमाल ज्यादा किया जाता है, वहां अस्थमा की बीमारी होने का खतरा 42 फीसदी और बढ़ जाता है।
एलपीजी गैस का विकल्प खोजने का वक्त आ गया है।
-डा.राम बजाज
आज हम
एक ऐसे दहन (होलिका दहन) गैस के आदि हो गए है,जिसे
घर के अन्दर होना ही नहीं चाहिए था। -डा.राम
बजाज
हमारी गृहणियों के लिए यह एक खतरे की घण्टी है।
-डा.राम बजाज
आस्ट्रेलिया में हुई
एक रिसर्च में पता चला है कि बचपन में जिन बच्चों को अस्थमा हो जाता है उनमें से 12.3 फीसदी बीमार बच्चों
के लिए घर में जलाए गए एलपीजी गैस को जिम्मेदार माना जा सकता है। जबकि बड़ों के लिए भी यह
एलपीजी गैस उतना ही ज्यादा खतरनाक है। इस गैस पर खाना बनाते वक्त जिस नाइट्रोजन
डाइआक्साइड और कार्बन मोनोआक्साइड का उत्सर्जन होता है वह किसी भी इंसान में
पल्मोनरी डिजीज को जन्म देती है। इसकी वजह से इंसानों में हाट से जुड़ी समस्याएं, शुगर और यहां तक कि
कैंसर होने के चांसेस बढ़ जाते है - ब्रैस्ट कैंसर उसमें एक है।
एक नई स्टडी के अनुसार घर के अंदर गैस के केवल एक
चूल्हे से सिगरेट के धुएं के समान प्रदूषण फैलता है। गैस के धुएं में बेंजीन
की मात्रा अधिक होती है। इसका संबंध कैंसर के खतरे से है।
रिसर्च
के मुताबिक - गैस पर खाना बनाने परघर की
हवा पाँच गुना ज्यादा प्रदूषित होती है। -डा.राम
बजाज
शहर
के प्रदूषण की चिंता छोडिए - घर का प्रदूषण खत्म कर देंगेतो
शहर का प्रदूषण अपने आप खत्म हो जायेगा। -डा.राम
बजाज
नई स्टडी
एनवायरनमेंटल साइंस, टेक्नोलाजी जर्नल
में प्रकाशित हुई है। पहली बार किसी स्टडी में बेंजीन के जमाव पर ध्यान दिया गया
है। कैंसर पर संयुक्त राष्ट्र इंटरनेशनल एजेंसी और अमेरिकी पर्यावरण सुरक्षा
एजेंसी ने बेंजीन को कैंसर के लिए जिम्मेदार तत्व माना है।
इस केमिकल के सांस
में जाने से ल्यूकेमिया, लिंफोमा
और अन्य गंभीर बीमारियां हो सकती है। डाक्टरों का कहना है कोई भी लेवल सुरक्षित
नहीं है।
कई घातक केमिकल कई
रिसर्च में गैस चूल्हों से वायु प्रदूषण और स्वास्थ्य पर उसके निगेटिव प्रभावों का
ब्योरा सामने आया है।
गैस चूल्हों से
बेंजीन के अलावा नाइट्रोजन डाइआक्साइड, कार्बन मोनोआक्साइड और फार्मेल्डिहाइड जैसी
गैसें निकलती है। वे बंद किए जाने के बाद भी शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस मीथेन छोड़ते है।
दिल की बीमारी, कैंसर, अल्जाइमर
और पेट में गैस की बीमारी से पूरा देश ग्रस्त है। अधिकतर घरों में गैस पर ही भोजन
पकाया जाता है, लेकिन
क्या आप जानते है कि गैस पर बना हुआ खाना सेहत को किस तरह नुकसान पहुंचा रहा है, ये
प्रदूषित शहर में रहने से ज्यादा खतरनाक है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसा करना
नाइट्रोजन डाइआक्साइड और पार्टिकुलेट मेटर (प्रदूषण में पाए जाने वाले खतरनाक
टाक्सिन्स) को पैदा करना है। इनकी वजह से सेहत को काफी नुकसान होता है। ये फेफड़ों
के लिए कई दिक्कतें पैदा करता है। इससे दिल की बीमारी, कैंसर
और इल्जाइमर जैसी खतरनाक बीमारियों के होने का खतरा बढ़ता जा रहा है - बढ़ता जा
रहा है।
सावधान
- सावधान - सावधान यह एक गंभीर चेतावनी है - संभल
जाइये। -रिसर्च टीम
सीधे
एलपीजी गैस पर गर्म गर्म फुल्के-रोटी, पापड़
आदि शेकना-
यमदूत को न्यौता देना है। -डा.राम
बजाज
हमारी रिसर्च स्टडी
के अनुसार सीधे और गैस पर - खुले आंच पर फुल्के-रोटी, पापड़
आदि शेकना लगभग 96% हिन्दुस्तान के घरों में आम बात है। इसमें सीधे तौर पर बेंजीन गैस शौक लेती है जो कैंसर का मुख्य कारक है। इस अधजली गैस में
नाइट्रोजन डाइआक्साइड, कार्बन मोनाआक्साइड, फार्मेल्डिहाइड, मीथेन
जैसी गैसे निकलकर - आपके सीधे शीके हुए - फुल्के-रोटी, पापड़ में समा जाती
है - इकठ्ठा हो जाती है जो यमदूत को वारन्ट
भेजना का न्यौता देती है।
इसी हमारी रिसर्च में पाया गया है कि हमारी 96%
जनसंख्या कब्जी, पेट
में गैस से पीडित है। जिसका कोई इलाज नहीं हो सकता। ध्यान देवें कि एलपीजी चूल्हें
से लीक होने वाली मीथेन गैस अधजली गैस से मीथेन गैस पूरे घर के हर कोने में वीराजमान है - जिसका सोल्यूशन आपके हाथ में नहीं है।
होटल - रेस्टोरेन्ट - पार्टियां व शादी विवाह में खाना बन्द करें,जहॉं गैस की आंच पर रोटी सिकती हो। -रिसर्च टीम
हिन्दुस्तान
में 80% गृहणियों की यूटरस व प्रजनन संबंधि बीमारियों का मुख्य कारण यही प्रदूषक ही
है और बेहद खतरनाक है। घर में स्वच्छ हवा (Clean Air) के लिए पूरे साल उपाय करने की जरूरत है।
ये
प्रदूषक क्या है और ये खतरनाक क्यों है?
- ज्यादातर लोगों को
नहीं पता कि प्रदूषक क्या है] लेकिन ये हमारे आस-पास मौजूद है।
- किचन में एलपीजी गैस
के उत्पन्न होने वाले खतरनाक प्रदूषक के अलावा फामेंल्डिहाइड टिशू] नैपकिन, पेपर बैग और
सिंथेटिक कपड़ों में पाया जाता है, साथ ही अन्य चीजों में भी।
- बेंजीन प्लास्टिक, तंबाकू के धुएं, गोंद, पेंट, मोम, रंग और डिटर्जेंट
में पाया जाता है
- ट्राइक्लोरोइथिलीन
पेंट, वार्निश, पेंट
स्ट्रिपर, गोंद और स्याही में
पाया जाता है।
- जइलीन रबर, चमड़े, छपाई और एग्जास्ट
में पाया जाता है।
- अमोनिया फ्लोर वैक्स
और क्लीनर में पाया जाता है।
- और यहां कुछ लक्षण
दिए गए है जो उच्च मात्रा में इनके संपर्क में आने पर हो सकते है।
- कृपया ध्यान देवें
कि गंभीर लक्षण जैसे बेहोशी, कोमा और अंग क्षति, केवल
बहुत अधिक संपर्क में आने पर ही होते है-इन उत्पादों के सामान्य दैनिक उपयोग से
कहीं ज्यादा।
- फार्मेल्डिहाइड के
संपर्क में आने से आपके गले, मुंह और नाक में जलन हो सकती है। यदि आप इसकी महत्वपूर्ण
मात्रा के संपर्क में आते है तो आपको अपने स्वरयंत्र और फेफड़ों में सूजन का अनुभव
और अस्थमा।
- बेंजीन के संपर्क के
आने से आपकी आंखों में जलन हो सकती है और चक्कर आना, उनींदापन, सिरदर्द, ह्दय गति में
परिवर्तन और चरम मामलों में बेहोशी जैसे लक्षण अन्त में कैंसर हो सकते है।
ट्राइक्लोरोइथिलीन के कारण उत्साह] चक्कर आना, मतली
और उल्टी, सिरदर्द, उनींदापन और बहुत
गंभीर मामलों में कोमा हो सकता है और यूटरस-प्रजनन की समस्याऐं का सामना।
- अमोनिया के कारण
खांसी, गले में खराश और
आपकी आंखों के आसपास जलन हो सकती है। आंखों की नजर बिल्कुल कमजोर पड़ जाना।
- जैसा कि बताया गया
है, इस सूची में अधिक
गंभीर लक्षण बहुत अधिक प्रदूषक के संपर्क में आने के बाद दिखाई देंगे - सामान्य
दैनिक उपयोग] उदाहरण के लिए कागज
के टिश्यू को सामान्य रूप से संभालने से कहीं अधिक।
- हालांकि, अध्ययन से पता चला
है कि यदि आप अपने वातावरण से इन विषाक्त पदार्थों को खत्म करने का प्रयास करते है
तो आप अधिक तरोताजा, जागृत
महसूस कर सकते है और आंखों और नाक में जलन और सिरदर्द जैसे कम लक्षणों का अनुभव कर
सकते है।
- हाल के महीनों में
स्पष्ट कारणों से एक ऐसा घर बनाने पर जोर दिया गया है जो सुरक्षित आश्रय के रूप
में कार्य करता है-एक ऐसा स्थान जो इष्टतम स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है और
प्रोत्साहित करता है।
- घर में अधिक पौधे
लगाने से न केवल हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है]
बल्कि
वे देखने में भी अच्छे लगते है।
- सर्दी शुरू हो गई है। हल्की हवा
बहना बन्द हो जायेगी और घर में हवा में मौजूद अधिक असर दिखाना शुरू कर देंगे।
समझने की बात है कि उपरोक्त प्रदूषक कारक - हवा में नमी में फंसकर पूरे घर में
फंसकर रह जाते है और उसकी बदबू का अहसास दिनभर रहता है, जिससे स्थिति और विकट बन जाती है।
नोट:- कपड़े, बर्तन धोने का वाशिंग पाउडर, डिर्टजेंट, लिक्विड शॉप, लिपिस्टिक आदि में सबसे ज्यादा खतरनाक-खतरनाक कैमिकल्स बेंजीन प्राण घातक गैस
और प्रदूषिक मिलेंगे, जो बीमारी का बड़ा घर आपके शरीर में बनाते है। मर्जी आपकी है कि आप इसे कब तलाक
देंगे।चेतावनी - चेतावनी - चेतावनी
हमारी इस रिसर्च के
निष्कर्ष के पढ़ने के बाद अगर आप सीधे गैस पर खुले आंच पर खाना बनाना नहीं रोकते है
तो यमदूत का वारन्ट - आपके घर में कभी भी आ सकता है।
कृपया सीधी आंच पर रोटी, पापड़
भुनना आज से, अभी से
बन्द – बन्द - बन्द कर दें और अपने दोस्तों को यही शिक्षा देकर - अपने परिवार और देश का भला
करें। यह एक मानव सेवा है जिसे सिर्फ और सिर्फ हमने ही उठाया है। करीब 1.5 लाख घरों को हमने एलपीजी गैस की खुली आंच पर रोटी] पापड़
शेकना रूकवाया है] समझाया
है और सफलता पाई है। आप भी हमारे मिशन का हिस्सा बने। हमारे ई-मेल पर नाम, पता
भिजवाऐ और हमारे एकमात्र इस अभियान से जुड़े।
आखिर इसका
सामाधान क्या है?
किचन में अच्छा वेंटिलेशन, इलेक्ट्रॉनिक
स्टोव, एलपीजी
के जगह इंडक्शन या बिजली के चूल्हे, चाय के लिए कैतली तो विकल्प है - ही है, परन्तु
यह बिल्कुल भी काफी नहीं है।
आपको
इसके लिए Most natural powerful
scientific plant based – Air Purifier का इस्तेमाल करना होगा] जिसमें
किसी बाहरी शक्ति/बिजली का उपयोग वर्जित रहेगा।
यह Most
powerful scientific plant based – Air Purifier कैसे काम करता है? इसको आप संक्षिप्त में समझें।
ये एयर
प्यूरीफायर पौधे और मिट्टी का उपयोग ‘स्मार्ट
बायो-फिल्टर‘ के रूप में करता है। जब आप इस एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करते है, तो जो
आपके soil-root zone में जाती है। जहां Phytoremediation नाम प्रक्रिया पर भरोसा करके अधिकतम प्रदूषकों को शुद्ध किया जाता है। इसी
प्रक्रिया से प्रदूषक तत्वों
को प्रभावी ढंग से हटाते है। साथ में प्यूरीफायर की स्पेशल बनावट व मिट्टी के कारण
बाहर की सतह पर प्रदूषक तत्व चिपक जाते है और pollutants materials को
आसान परन्तु प्रभावी ढंग से हटाते है। इस technology का
इस्तेमाल करने में विश्व में सबसे पहले कामयाबी प्राप्त की है। यह एयर फिल्टर Seven Layer filtration process से गुजरता हुआ - हवा को बिल्कुल&बिल्कुल&बिल्कुल शुद्ध कर देता है, जो
दुनियां में अभी सम्भव नहीं हुआ है। हवा के
pressure differences उत्पन्न होने के कारण - ऐसा सम्भव हुआ है।
अधिक जानकारी के लिए सम्पर्क
करें-
धीरज दैया - 9261393382
ईमेल – info@rambajaj.com
नोट: दीपावली के समय विस्तृत ब्लॉग पोस्ट किया जाऐगा। जिसमें इस रिसर्च से संबंधित सभी जानकारियां उपलब्ध करवाई जायेगी।
Regards,Dr. Ram Bajaj
(With Team Members)
Ph.D,
B.E. (Civil Engineering) From
B.I.T.S, Pilani
Environmentalist on Ganga River
Technical and Researcher/Experts on Taj Mahal
Soil Engineer
Agricultural Scientist
M.A. (Economics)
M.A. (Public Admin.)
M.Com (Fin. Man.)
L.L.B.
Diploma In Interior Decoration M.I.E.
M. Struct E.
F.I.V
Structural Engineer
आस्ट्रेलिया में हुई एक रिसर्च में पता चला है कि बचपन में जिन बच्चों को अस्थमा हो जाता है उनमें से 12.3 फीसदी बीमार बच्चों के लिए घर में जलाए गए एलपीजी गैस को जिम्मेदार माना जा सकता है। जबकि बड़ों के लिए भी यह एलपीजी गैस उतना ही ज्यादा खतरनाक है। इस गैस पर खाना बनाते वक्त जिस नाइट्रोजन डाइआक्साइड और कार्बन मोनोआक्साइड का उत्सर्जन होता है वह किसी भी इंसान में पल्मोनरी डिजीज को जन्म देती है। इसकी वजह से इंसानों में हाट से जुड़ी समस्याएं, शुगर और यहां तक कि कैंसर होने के चांसेस बढ़ जाते है - ब्रैस्ट कैंसर उसमें एक है।
एक नई स्टडी के अनुसार घर के अंदर गैस के केवल एक चूल्हे से सिगरेट के धुएं के समान प्रदूषण फैलता है। गैस के धुएं में बेंजीन की मात्रा अधिक होती है। इसका संबंध कैंसर के खतरे से है।
कई घातक केमिकल कई रिसर्च में गैस चूल्हों से वायु प्रदूषण और स्वास्थ्य पर उसके निगेटिव प्रभावों का ब्योरा सामने आया है।
गैस चूल्हों से बेंजीन के अलावा नाइट्रोजन डाइआक्साइड, कार्बन मोनोआक्साइड और फार्मेल्डिहाइड जैसी गैसें निकलती है। वे बंद किए जाने के बाद भी शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस मीथेन छोड़ते है।
दिल की बीमारी, कैंसर, अल्जाइमर और पेट में गैस की बीमारी से पूरा देश ग्रस्त है। अधिकतर घरों में गैस पर ही भोजन पकाया जाता है, लेकिन क्या आप जानते है कि गैस पर बना हुआ खाना सेहत को किस तरह नुकसान पहुंचा रहा है, ये प्रदूषित शहर में रहने से ज्यादा खतरनाक है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसा करना नाइट्रोजन डाइआक्साइड और पार्टिकुलेट मेटर (प्रदूषण में पाए जाने वाले खतरनाक टाक्सिन्स) को पैदा करना है। इनकी वजह से सेहत को काफी नुकसान होता है। ये फेफड़ों के लिए कई दिक्कतें पैदा करता है। इससे दिल की बीमारी, कैंसर और इल्जाइमर जैसी खतरनाक बीमारियों के होने का खतरा बढ़ता जा रहा है - बढ़ता जा रहा है।
सावधान
- सावधान - सावधान यह एक गंभीर चेतावनी है - संभल
जाइये। -रिसर्च टीम
सीधे
एलपीजी गैस पर गर्म गर्म फुल्के-रोटी, पापड़
आदि शेकना-
यमदूत को न्यौता देना है। -डा.राम
बजाज
हिन्दुस्तान में 80% गृहणियों की यूटरस व प्रजनन संबंधि बीमारियों का मुख्य कारण यही प्रदूषक ही है और बेहद खतरनाक है। घर में स्वच्छ हवा (Clean Air) के लिए पूरे साल उपाय करने की जरूरत है।
ये प्रदूषक क्या है और ये खतरनाक क्यों है?
- ज्यादातर लोगों को नहीं पता कि प्रदूषक क्या है] लेकिन ये हमारे आस-पास मौजूद है।
- किचन में एलपीजी गैस के उत्पन्न होने वाले खतरनाक प्रदूषक के अलावा फामेंल्डिहाइड टिशू] नैपकिन, पेपर बैग और सिंथेटिक कपड़ों में पाया जाता है, साथ ही अन्य चीजों में भी।
- बेंजीन प्लास्टिक, तंबाकू के धुएं, गोंद, पेंट, मोम, रंग और डिटर्जेंट में पाया जाता है
- ट्राइक्लोरोइथिलीन पेंट, वार्निश, पेंट स्ट्रिपर, गोंद और स्याही में पाया जाता है।
- जइलीन रबर, चमड़े, छपाई और एग्जास्ट में पाया जाता है।
- अमोनिया फ्लोर वैक्स और क्लीनर में पाया जाता है।
- और यहां कुछ लक्षण दिए गए है जो उच्च मात्रा में इनके संपर्क में आने पर हो सकते है।
- कृपया ध्यान देवें कि गंभीर लक्षण जैसे बेहोशी, कोमा और अंग क्षति, केवल बहुत अधिक संपर्क में आने पर ही होते है-इन उत्पादों के सामान्य दैनिक उपयोग से कहीं ज्यादा।
- फार्मेल्डिहाइड के संपर्क में आने से आपके गले, मुंह और नाक में जलन हो सकती है। यदि आप इसकी महत्वपूर्ण मात्रा के संपर्क में आते है तो आपको अपने स्वरयंत्र और फेफड़ों में सूजन का अनुभव और अस्थमा।
- बेंजीन के संपर्क के आने से आपकी आंखों में जलन हो सकती है और चक्कर आना, उनींदापन, सिरदर्द, ह्दय गति में परिवर्तन और चरम मामलों में बेहोशी जैसे लक्षण अन्त में कैंसर हो सकते है। ट्राइक्लोरोइथिलीन के कारण उत्साह] चक्कर आना, मतली और उल्टी, सिरदर्द, उनींदापन और बहुत गंभीर मामलों में कोमा हो सकता है और यूटरस-प्रजनन की समस्याऐं का सामना।
- अमोनिया के कारण खांसी, गले में खराश और आपकी आंखों के आसपास जलन हो सकती है। आंखों की नजर बिल्कुल कमजोर पड़ जाना।
- जैसा कि बताया गया है, इस सूची में अधिक गंभीर लक्षण बहुत अधिक प्रदूषक के संपर्क में आने के बाद दिखाई देंगे - सामान्य दैनिक उपयोग] उदाहरण के लिए कागज के टिश्यू को सामान्य रूप से संभालने से कहीं अधिक।
- हालांकि, अध्ययन से पता चला है कि यदि आप अपने वातावरण से इन विषाक्त पदार्थों को खत्म करने का प्रयास करते है तो आप अधिक तरोताजा, जागृत महसूस कर सकते है और आंखों और नाक में जलन और सिरदर्द जैसे कम लक्षणों का अनुभव कर सकते है।
- हाल के महीनों में स्पष्ट कारणों से एक ऐसा घर बनाने पर जोर दिया गया है जो सुरक्षित आश्रय के रूप में कार्य करता है-एक ऐसा स्थान जो इष्टतम स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है और प्रोत्साहित करता है।
- घर में अधिक पौधे लगाने से न केवल हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है] बल्कि वे देखने में भी अच्छे लगते है।
- सर्दी शुरू हो गई है। हल्की हवा बहना बन्द हो जायेगी और घर में हवा में मौजूद अधिक असर दिखाना शुरू कर देंगे। समझने की बात है कि उपरोक्त प्रदूषक कारक - हवा में नमी में फंसकर पूरे घर में फंसकर रह जाते है और उसकी बदबू का अहसास दिनभर रहता है, जिससे स्थिति और विकट बन जाती है।
चेतावनी - चेतावनी - चेतावनी
हमारी इस रिसर्च के निष्कर्ष के पढ़ने के बाद अगर आप सीधे गैस पर खुले आंच पर खाना बनाना नहीं रोकते है तो यमदूत का वारन्ट - आपके घर में कभी भी आ सकता है।
कृपया सीधी आंच पर रोटी, पापड़ भुनना आज से, अभी से बन्द – बन्द - बन्द कर दें और अपने दोस्तों को यही शिक्षा देकर - अपने परिवार और देश का भला करें। यह एक मानव सेवा है जिसे सिर्फ और सिर्फ हमने ही उठाया है। करीब 1.5 लाख घरों को हमने एलपीजी गैस की खुली आंच पर रोटी] पापड़ शेकना रूकवाया है] समझाया है और सफलता पाई है। आप भी हमारे मिशन का हिस्सा बने। हमारे ई-मेल पर नाम, पता भिजवाऐ और हमारे एकमात्र इस अभियान से जुड़े।
आखिर इसका सामाधान क्या है?
किचन में अच्छा वेंटिलेशन, इलेक्ट्रॉनिक स्टोव, एलपीजी के जगह इंडक्शन या बिजली के चूल्हे, चाय के लिए कैतली तो विकल्प है - ही है, परन्तु यह बिल्कुल भी काफी नहीं है।
धीरज दैया - 9261393382
ईमेल – info@rambajaj.com
नोट: दीपावली के समय विस्तृत ब्लॉग पोस्ट किया जाऐगा। जिसमें इस रिसर्च से संबंधित सभी जानकारियां उपलब्ध करवाई जायेगी।
Dr. Ram Bajaj
(With Team Members)
Ph.D,
B.E. (Civil Engineering) From
B.I.T.S, Pilani
Environmentalist on Ganga River
Technical and Researcher/Experts on Taj Mahal
Soil Engineer
Agricultural Scientist
M.A. (Economics)
M.A. (Public Admin.)
M.Com (Fin. Man.)
L.L.B.
Diploma In Interior Decoration M.I.E.
M. Struct E.
F.I.V
Structural Engineer
Great research
ReplyDeleteIs parkar ki koi khoj abhi tak nahi aye h 🙏🏻🙏🏻
Bilkul.new.research
ReplyDeleteKoti.koti.danyabad