नये वर्ष 2024 का पहला दिन - डा.राम बजाज की उद्यानिकी कृषि क्षैत्र में अति आधुनिक, परन्तु विचित्र व असम्भव रिसर्च।
नये वर्ष 2024 का पहला दिन - डा.राम बजाज की उद्यानिकी कृषि क्षैत्र में अति आधुनिक, परन्तु विचित्र व असम्भव रिसर्च। 2024 नए वर्ष का - देश को एक नायाब तोहफा।
नींबू की आयुर्वेदिक पेड़
पर दिसम्बर माह में 2000
(दो हजार) नींबू के फल विकसित किए
है, जो असम्भव ही नहीं परन्तु
उद्यानिकी क्षेत्र में नामुमकिन है।
जिसकी कीमत 1000/- (एक हजार) प्रतिकिलो है, जो पहले से ही बुक हो चुके है। क्योंकि यह आयुर्वेदिक नींबू है-जिससे कम से कम सात बीमारी को तो ठीक करता ही करता है जैसे –
- पाचन तंत्र
- यूरिनरी डिसऑर्डर - मूत्र रोग
- लीवर डिसऑर्डर
- आंतों के रोग – Intestinal Disorder
- किड़नी स्टोन बनाने में रोकना
- एनीमिया से राहत
- एन्टी ऑक्सीडेन्ट आदि आदि
आयुर्वेदिक
नींबू रक्तचाप को तुरन्त कम कर सकता है
इस आयुर्वेदिक लेमन में कई ऐसे जबरदस्त खनिज पाए जाते है जो ब्ल्डप्रेशर को कम करने की अहम भूमिका निभाते है, इसमें कैल्शियम, पोटेशियम भी पाया जाता है।
- Proper Photosynthesis
- Proper Root and Plant Respiration by open Bottle
- Nitrogen Fixation by bacteria present in soil
- Cation Exchange with Humus and Wood Ash
- Proper Maintenance of Food Web Series – Development of Micro-organism
- Proper Pollination
Chemical Properties of Clay and Humus |
CEC: cation exchange capacity
Key Points for Production of 2000 नींबू फल – एक पौधे पर, एक पेड़ से सालाना इनकम - 10 लाख रूपये।
- नींबू का पौधा अपनी जड़ों के माध्यम से नाइट्रेट आयनों, नाइट्राइट आयनों या अमोनियम आयनों के रूप में अवशोषण द्वारा मृदा से नाइट्रोजन लेते है।
- स्थलीय जंतुओं द्वारा प्राप्त अधिकांश नाइट्रोजन का पता खाद्य श्रृंखला के किसी चरण में पौधों के खाने से लगाया जा सकता है।
- नींबू का पौधा अपनी जड़ों द्वारा नाइट्रोजन यौगिक ग्रहण करता है। मिट्टी में नाइट्रिफाइंग बैक्टीरिया अमोनिया को नाइट्राइट (NO2-) और फिर नाइट्रेट (NO3-) में परिवर्तित करता है। इस प्रक्रिया को नाइट्रिफिकेशन कहा जाता है। Nitrogen – Fixing बैक्टीरिया root nodules में मौजूद रहते है।
- इसके अलावा पौधे कार्बनिक रूप में भी नाइट्रोजन लेते हैं कई कार्बनिक यौगिक (यौगिक जिनमें कार्बन होता है) मिट्टी में नाइट्रोजन के कार्बनिक अंश का निर्माण करते है।
- मृदा कार्बनिक पदार्थ अपघटन-प्रतिरोधी यौगिकों और धरण के अपेक्षाकृत स्थिर उत्पादों, पौधों और जानवरों के अवशेषों के रूप में मौजूद हैं जो Cation Ions Exchange में मदद करता है।
- नींबू के पौधे की जड़े स्वयं पीएच को बदलकर और कार्बनिक यौगिकों या ऑक्सीजन को स्त्रावित करके नाइट्रोजन के विभिन्न रूपों की प्रचुरता को प्रभावित करती है। अच्छे ऑक्सीजनकरण उनमें मुख्य भाग है
- Biodegradation of the plants and animals (Humus) are another source of nitrogen for Lemon Tree.
- Roots of Lemon Tree also need oxygen; which they absorb from air spaces in the soil, so a well created soil through open neck bottle is vital for good growth of Lemon Tree. The gas (air) is found in the air space between soil particulars and enters roots via the fine haris that cover their tips with the process of “Diffusion”.
- Root zone oxygenation is key to quality lemon fruits their – size and number of lemons. Glucose is broken down by proper oxygen to release energy, carbon dioxide and water in process known as “Respiration”.
- Both primary and secondary minerals are active members of soil environment. In interaction with each other the elements, the mineral structure is composed of create an electrical charge, which means soil minerals can absorb plant nutrients like potassium and calcium on their surface. With change in chemical compositions nutrients and other compound can be released back into the soil solution, where they become available to plant roots and soil organisms.
- Soil is an organism that breathes in and out. Pores are filled with water and are filled with soil air – a mixture of 79% nitrogen, less than 20% oxygen and generally more than 0.2% CO2.
- Plant roots and micro-organisms require oxygen for this metabolism.
- The most important component of the soil atmosphere is carbon dioxide, the final decomposition product of organic matter. The formation of CO2 depends to a large degree of microbial metabolism. Everything that favours growth of micro-organism increases the generation of CO2.
- CO2 is more important to high yields potential than N or any minerals elements.
- First layer at bottom – Earthen pot half cow dung + cow urine + dry leafs with holes + micro-organism feeds (Jaggery + चना Basin) + Dry wooden sticks of any plants at bottom opening of earthen pot at the bottom of the 2½ ft – pit + 1 to 2" conduct pipes with holes at the bottom pipe laid at bottom and connected to the top pipe with elbow joints for air flow at bottom and deep watering and manure + micro-organism dose.
- Second layer after one feet fills with various type of stones + burnt with lime stone + dry leafs + sand stone + cow dung old manure + lime powder + gypsum powder + ½ kg सरसों खली + 250gm free type of grains (चना + गेंहू + बाजरा + जौं + ग्वार)
- Iron powder + फिटकरी powder + सुहागा + समुन्द्री नमक (काला + लाल) + fresh cow dung and गौमूत्र + cow urine + good clay - ½ ft.
- Plastic bottles with both end open and various holes on the surface of the bottle.
- Mulching घास और सूखे पत्तों से ढ़कन।
नोट : दिसम्बर माह में ठण्ड (पाला) से बचाव मुख्य शर्त है। नींबू के फल की साईज 1.5 (डेढ़) गुणी है। आपके बागवानी में अनार, नींबू, कीन्नू, पपीता आदि के पेड़ है तो इनका Production 1.5 (डेढ़) गुणा करने की गारन्टी देते है, जिसमें फल फटेंगे नहीं और लाल अनार होगी। परामर्श फीस एक लाख प्रतिदिन।
Dr. Ram Bajaj
Ph.D,
B.E. (Civil Engineering) From
B.I.T.S, Pilani
Environmentalist on Ganga River
Technical and Researcher/Experts on Taj Mahal
Soil Engineer
Agricultural Scientist
M.A. (Economics)
M.A. (Public Admin.)
M.Com (Fin. Man.)
L.L.B.
Diploma In Interior Decoration M.I.E.
M. Struct E.
F.I.V
Structural Engineer
Great research ...
ReplyDeleteSir aapne bahut bar excellent research ki h...sari baate details me likhi h...great work
ReplyDeleteये तो सच मे अनोखी और दुर्लभ खोज हैं
ReplyDeleteGreat work 🙏🙏