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Showing posts from March, 2021

मरे वे पेड़ को कैसे जिन्दा करे।

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होली के रंगों में-प्यार और अपनापन हमेशा-रंगों सेही-सजा रहे-यही मेरी दआु और शुभकामनाएं-आपको विशेष रूप से प्रेषित  कर  रहा हूँ   । डॉ राम बजाज (विज्ञानिक  ) दुनियाँ के मौसम वैज्ञानिकों ने  इस वर्ष घोषणा की है  की इस वर्ष गर्मी का  प्रकोप भयंकर-रहने की संभावना है। मुख्य कारण हरयाली  की कमी, अंधाधुन्द पेडों की कटाई और ग्लोबल वार्मिंग ही है। अगर आपकेक्षेत्र में-पेड सूख रहेहैं-या मर रहे हैं-तो हमें सूचित करें हम-उसको  जिन्दा करने की  गारंटी देते हैं। क्या आप का पेड मर रहा है-या मर गया है? मरे हुए पेड के कुछ लक्षणों में शामिल :- (1) ट्रंक या छाल में दरारें। (2) पेड की मूल जड़ मरगयी हो या फिर जमीन के ऊपर आ गई  हो। (3 ) पेड का ट्रंक खोखला हो गया हो। (4) शाखाओं में पतियाँ आना बंद हो गए हो-अथवा शाखाएं सूख गई हो। (5) यदि आपके  पेड  ने  "  स्क्रैच टेस्ट  " में फेल हो गया है-तो आप का पेड मर  चुका  है। उपरोक्त पांचो  लक्षण के मरे हुए पेड की उपलब्धता बयान कर रही है की पेड मर चुका है। कृपया मरे हुए पेड की फोटो-संभालकर रखें अगले  3 महीने में इस पेड को  जिन्दा करने की गारंटी देता हूँ । नोट :- अग
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Dr.Ram Bajaj has dared to declare that the colours of Red Stone of Royal gate, Masjid & other parts of the Taj Mahal complex also keep changing from dawn to midnight. - Dr.Ram Bajaj Photo captured by our Engineering Team Nobody has found out such an engineering – phenomenon findings ever before in the history of Taj Mahal. - Dr.Ram Bajaj Civil & Structural Engineer Our engineering teams have dared to declare that the colours of Red Stone of Royal gate, Masjid & other parts of the Taj Mahal complex also keep changing from dawn to midnight – giving a magical aura. Photo captured by our Engineering Team Colour change from dawn to midnight - is the physics law of light. We have explained thoroughly in detail – about these scientific reasons of changing of colours in our book. - Dr.Ram Bajaj Civil & Structural Engineer Royal Gate - Photo captured by our Engineering Team Photo captured by our Engineering Team Royal Gate – Inside – upper portion of inside dome. The archaeologi
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  Date: 12 March 2021 पुरातत्व विभाग द्वारा शिलालेख में वर्णित ताजमहल की ऊंचाई व चौड़ाई  55 मीटर गलत और खोटी है-निमार्ण की तिथियों में भी फर्क है। - डॉ.राम बजाज दुनियां के सात अजूबो में शुमार ताजमहल की सही ऊंचाई का ज्ञान  नहीं होना – हिन्दुस्तान के लिए शर्म की बात नहीं है ? - डॉ.राम बजाज ‘‘ गूगल ‘‘ में उपलब्ध दशाई गई सभी नाप-जोख (Dimension) गलत है , सरकार दुनियां के सात अजूबे वाले ताजमहल की Dimension को सही करवाना व निमार्ण की तिथियों को दुरस्त करवाना - सरकार व विभाग का दायित्व है। - डॉ.राम बजाज पुरातत्व विभाग द्वारा जारी नक्शे ब्ल्यू प्रिन्ट में दर्शाति सभी नाप-जोख खोटे है और अधूरे है। सरकार और विभाग इन्हें तुरन्त दुरस्त करें अन्यथा हमारी रिसर्च इंजीनियरिंग टीम को इन्हें दुरस्त करने के लिए अन्य तरीके अपनाने पड़ेंगे। - डॉ.राम बजाज Structural Engineer & Researcher on Taj Mahal क्या हमें - हमारे प्रिय ताजमहल की सही ऊंचाई भी किसी भी हिन्दुस्तानियों को मालूम नहीं है ? - डॉ.राम बजाज “.........The Taj is exactly as wide as it is high (55 meters). The blue print of Taj Mahal – does not h
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  Date: 12 March 2021 There is and there was no such type of Makarana Marble – laid on Taj Mahal – keeps changing colour from dawn to midnight – giving it magical aura. - Dr.Ram Bajaj Photo captured by our Engineering Team Changing colour of Marble due to climate change.  “.......The colour of translucent marble keeps changing from dawn to midnight giving it a magical-aura, is keeping with Shah Jahan’s vision (where is this vision of Shah Jahan has written – These are totally false statements by the archaeological department) that the Tomb and garden should represent paradise on earth. Actually there is & there was no such type of translucent Makarana marble which keeps changing colour from dawn to midnight giving it a magical aura. Photo captured by our Engineering Team Photo captured by our Engineering Team Changing colour of Marble due to climate change. Colours of marble never change from dawn to midnight but the  physics laws of nature change its colours from dawn to midnight.
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  Date: 12 March 2021 ताजमहल के निमार्ण से पहले पूरे मुगलकालिन शासन के समय से हमारे पूरे हिन्दुस्तान में इस तरह का काम करने वाले एक्पर्ट कारीगर और शिल्पकारों की भरमार थी। - डॉ.राम बजाज “..........Artisans were requisitioned from all over the empire “including Central Asia and Iran” – is totally flash and fabricated by the historian of that time. Even our lazy archaeological experts are ‘‘ ऑंख मूंद कर बैठे है। ‘‘ क्या उन्हे जानकारियां नहीं है कि ताजमहल के निमार्ण से पहले पूरे मुगलकालिन शासन के समय से हमारे पूरे हिन्दुस्तान में इस तरह का काम करने वाले एक्पर्ट कारीगर और शिल्पकारों की भरमार थी। क्या उन्हें मालूम नहीं है कि ताजमहल ईमारत के निमार्ण करने से पहले हुमायूं का मकबरा , अकबर का मकबरा , आगरा फोर्ट में कई महलों के निमार्ण में हिन्दुस्तान के ही कारीगरों को मंगवाया और बुलाया गया था। Photo captured by our Engineering Team हरगिज भी नहीं। हमारे अपने मुल्क में - मुगलकालिन कलाकृतियों वाले Artisans पहले से ही मौजूद थे। हमारे पुरातत्व विभाग वाले आलसी जानकारों के जानकर भूलों के कारण हमारे कारी