The Seventh Earthquake in Delhi | Warning for NCS

डॉ राम बजाज द्वारा भूकंप की एक और चेतवानी - आठवे भूकंप की अधिक संभावना है। ध्यान देवे NCS दिल्ली NCR में 29 मई 2020 लॉक डाउन के बाद यहाँ सात बार झटके महसूस किये गए हैं।

दिल्ली NCR में लॉक डाउन के दौरान 25 मार्च के बाद - वे दिनांक 29 मई 2020 के बीच सात झटके महसूस किए गए हैं। 29 मई को रिचटर स्केल पर उसकी इंटेंसिटी 4.6 और केंद्र बिंदु हरियाणा के राह तक में था। दूसरा भूकंप रात के 10 बजे आया जो 2.9 तीव्रता का था और केंद्र बिंदु राह तक ही था यह भूकंप ऐसे समय में आने शुरू हुए हैं जबकि डॉ राम बजाज ने हाल के अध्ययन में 6 बार चेतावनी दी गयी थी की दिल्ली NCR में भूकंप के अनेक झटके आ सके हैं जिनमे एक बड़ा झटका भी हो सकता हैं। हलाकि IIT कानपूर ने भी दिल्ली से बिहार के बीच बड़े भूकंप की चेतावनी दी है जिसमे 7.5 से 8.5 के बीच की आशंका हैं। यह संभावना सिविल इंजीनियर्स विभाग के प्रोफेसर जावेद एन मलिक ने बताई है। ध्यान देवे की भारत तक़रीबन 47 मिलिमीटर्स प्रतिवर्ष की गति से एशिया से टकरा रहा हैं टेकटोनिक प्लेटो में टक्कर के कारण भारतीय महाद्वीप में अक्सर भूकंप आते रहते हैं। हालांकि भूजल में कमी से टेकटोनिक प्लेटो की गति में धीमापन आया हैं।




राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और NCR अधिक तीव्रता वाले जोन 4 में आते हैं जहाँ पर रिचटर स्केल पर 8 तीव्रता भूकंप आसकता हैं। दिल्ली NCR मैं ज़मीन के नीचे तीन फाल्ट लाइन मौजूद है। इनमे दिल्ली - मुर्दाबाद ; मथुरा और सोहना फाल्ट लाइन के नाम से जानते हैं । जहाँ फाल्ट लाइन होती है वही पर भूकंप का एपिसेंटर बनता हैं।

धरती के नीचे जहाँ प्लेट्स आपस में टकराते हैं उसे फोकस या ह्यपॉइंटर कहा जाता हैं। ऐसी ह्यपॉइंटर के ठीक ऊपर धरती पर जो जगह हैं उसे कहा जाता हैं एपिसेंटर। इस एपिसेंटर पे लगा होता हैं सीस्मोग्राफ। जब प्लेट्स टकराती हैं तो उससे तरंगे निकलती हैं और ये तरंगे सीस्मोग्राफ से टकरा जाती हैं। उसी तरंगे के टकराने के आधार पर सिस्मोग्राफ भूकम्प की तीव्रता मापता हैं और उसे रिचटर स्केल पर दर्ज कर देते हैं।



 धरती की बनावट को समझना। धरती के बनावट को मुख्य चार हिस्सों में बाँटा जा सकता है ।
1. इनरकोर 
2. आउटरकोर 
3. मेंटल 
4. क्रस्ट

इन चारो भागो में से लेना देना सिर्फ क्रस्ट से ही है। क्रस्ट धरती की सबसे ऊपरी परत हैं - जो हमारी आँखों से देखि जा सकती हैं। धरती पर मौजूद नदियां, पहाड़, समुन्दर, बालु के टिब्बे आदि उसी क्रस्ट का हिस्सा हैं। इसकी परत गहराई 50 किलोमीटर से अधिक है और ऊपरी मेंटल को लिथोस्फेरे कहते हैं ये 50 किलोमीटर की मोटी परत वर्गो में बनती हुई हैं जिन्हे टेकटोनिक प्लेट्स कहा जाती हैं।

ये टेकटोनिक प्लेट्स अपनी जगह से हिलती रहती हैं, तो भूकम्प आ जाता हैं। टेकटोनिक प्लेट्स थ्योरी के मुताबिक इस 50 कि.मी क्रस्ट में होती है - प्लेट्स जो आपस में जुडी होती है। इनको ही असल में टेकटोनिक प्लेट्स कहते हैं। संख्या में ये एक दर्ज़न से ज़्यादा होती है। ये प्लेट्स महद्दीपो में है ;महासागरों में है और ममहाद्वीप - महासागर जो मिलेवे है - वह भी हैं। ये अंदर ही अंदर हिलती डुलती है रहती है। अब अगर यह थोड़ा हिलती है तो किसी को पता नहीं चलता - परन्तु भू वैज्ञानिको को पता चलता ही रहना चाहिए। लेकिन भारतीय भू वैज्ञानिकों द्वारा उसका आंकलन करना - उनके बूते के बाहर ही समझा जावे क्योंकि दिल्ली N.C.R में अभी तक सात भूकंप के झटके आ चुके हैं फिर भी उनका आंकलन - है कर सकना - एक अचम्भे से काम न समझा जावे।



अब अगर यह प्लेट्स ज़्यादा हिलती है तो उसका असर ऊपर दिखता है। यह यही भूकंप है जो लॉक डाउन के बाद सात बार आ चुका है - जिसमे में कम से कम दो भूकंप की तीव्रता कभी अधिक थी (3.9 एवं 4.6) प्लेट्स जहाँ -जहाँ जुडी होती है वहां वहां टकराव ज़्यादा होता है और इन्ही इलाकों में भूकंप भी ज़्यादा यही आता है। 

धरती पर हम जो बड़े बड़े पहाड़ देखते हैं वो प्लेट्स के टकराने से ही बने हैं ये प्लेट्स कभी आमने -  सामने टकराते हैं, तो कभी ऊपर निचे टकराते हैं, तो कभी - आड़े तिरछे भी टकराते हैं। और जब - जब ये प्लेट्स टकराती हैं तो भूकंप आ जाता हैं। तो धरती हिलती हैं। दिल्ली के NCS के विज्ञानिको के अनुसार दिल्ली में प्लेट्स आसपास में टकरा नहीं रही हैं। क्या गजब का आंकलन हैं।

जरा NCS के हेड ( ऑपरेशन ) जे.एल.गौतम ने टी.ओ.आई और अन्य संस्थान को बताया था की पहले दोनों भूकंप (12 अप्रैल [3.5] 13 अप्रैल [2.7]) फाल्टलाइन प्रेशर की वजह से आए, ऐसा नहीं लगता। उन्होंने कहा इनलोकल और कम तीव्रता वाले भूकंप के लिए फाल्ट लाइन की जरुरत नहीं हैं। धरातल के निचे छोटे - मोटे अड़जस्टमेंट्स होते रहते हैं और उससे कभी कभी झटके महसूस होते हैं बड़े भूकंप फाल्ट लाइन के किनारे आता हें।

मान्यपर जे.एल गौतम साहब कृपया इस तरह के नॉलेज ( KNOWLEDGE ) से तो अच्छा हैं की आप दिमाग ने काम करना बंद कर अन्यया 2.2, 2.5, 2.9, 3.5,और 4.6 रिचटर स्केल का भूकंप कोई छोटा - मोटे अड़जस्टमेंट्स में नहीं आते और नाही सातो भूकंप कोई लोकल अड़जस्टमेंट्स से आए हैं। सरकार को गलत राय देना बंद कर देवे। सारे भूकंप फाल्ट लाइन के कारण ही उत्पन्न हुए हैं।


बड़ा भूकंप आने पर दिल्ली में जयादा नुकसान की आशंका वाले क्षेत्रों में यमुना के करीबी इलाके पूर्व दिल्ली, शाहदरा, मयूर बिहार, लक्ष्मी नगर, आदि आते हैं। दिल्ली NCR में जमीन के नीचे तीन फाल्ट लाइन मौजूद हैं जो अब जयादा एक्टिव हो गई हैं। दिल्ली में जमीं की जाँच की मिट्टी के नमूने के लिए भू विज्ञानिको ने राजधानी दिल्ली में करीब पाँचसो जगह पर 30 मीटर और उसे अधिक निचे तक ड्रिलिंग की गई। उससे मिट्टी की स्ट्रेंथ ( STRENGTH ) का पता किया। उससे जानकारी मिली की भूकंप के तिहाज से कूँ से क्षेत्र सुरक्षित और खतरनाक हैं। दिल्ली और आसपास के बड़े भूकम MAP NCS के विज्ञानिको को आठवे भूकंप की तईयारी के साथ चेतावनी हैं की सात भूकंप के अध्ययन का तरीका और निष्कर्ष बिल्कुल ही गलत ढंगसे पेश नहीं किया गया हैं। अन्य विशेषसो को बुद्धू समझने की भूल न करे तो जयादा अच्छा रहेगा।



About Writer
Dr. Ram Bajaj
Engineer ( BITS PILANI )
Scientist
Agriculturist
Economist
Email: info@rambajaj.com

Comments

  1. Really informative article, I had the opportunity to learn a lot, thank you.
    m3m noida 94

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