Clean Ganga during Covid



 विषय: राष्ट्रीय नदी गंगा के प्रदूषण व निर्मलता स्तर के आंकड़ोका आंकलन, अनुमान, रिसर्च, विश्लेषण व सुझाव -डॉ. राम बजाज
राम तेरी गंगा मैली
करोना नहीं - प्रकृति का नया रूप

“हे भगवान् - क्या इतनी निर्मल और स्वच्छ है हमारी गंगा?”

गंगा को निर्मल करने के लिए केन्द्र सरकार की 20,000 करोड़ रूपये की “नमामि गंगे परियोजना” के बावजूद गंगा का प्रदूषण स्तर क्या था - जरा आंकलन करे।

श्री विक्रांत तोंगड, पर्यावरण विद को 10 मई 2019 सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार यू.पी.पी.सी.बी (यू.पी.प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) ने कहा है कि समूचे उत्तर प्रदेश में कहीं भी गंगा का पानी पीने लायक नहीं है, न ही कोई यूपी में गंगा का कोई ऐसा स्ट्रेच है जहाँ नदी का पानी सीधा पीया जा सके।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने कहा है कि उनके पास कठोर उपायों के सिवा कोई रास्ता नहीं बचा है। उनकी सख्त टिप्पणी गौर करने के लायक है। गंगा देश की राष्ट्रीय नदी है और इसका समूचे देश के लिए एक विशेष महत्व है। यहाँ तक कि गंगा की “एक बूँद” भी गंभीरता का विषय है। गंगा में प्रदूषण रोकने के सभी प्राधिकरण का रवैया कठोर और
जीरो टालरेंस का होना चाहिए। साथ में प्रदूषण रोकने के लिए बचाव के सिद्धांत का पूर्ण पालन होना चाहिए।


“राष्ट्रीय निर्मलता व गंगा की स्वच्छता कोधन की उगाही और व्यावसायिकी धंधे कीभेंट नहीं चढ़ाया जा सकता है।”-डॉ.राम बजाज
टाईम्स ऑफ इण्डिया (TOI) व दी वायर स्टाक मार्च 16, 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक एक गैर सरकारी संस्थान एस.एम.एफ. वाराणसी (संकट मोचन फाउन्डेशन) ने अपनी एक रिपोर्ट में खुलासा किया था कि गंगा के पानी में काली फार्म और बॉयोकेमिकल ऑक्सीजन डिमाण्ड (बी.ओ.डी) में बढ़ोतरी का पता चला है-जो पानी की गुणवता का निम्न स्तर है।

                                      

संस्था की प्रयोगशाला के जमा आंकड़े बताते है कि गंगा के पानी में जीवाणु जनित प्रदूषण इतना बढ़ गया है कि पानी पीने योग्य नहीं रह गया। पीने योग्य पानी में काली फार्म\ बैक्टीरिया एम.पी.एन (मोस्ट प्रोबेबल नम्बर) 50एम.पी.एन/100मिली लीटर और नहाने के पानी में 500 एम.पी.एन/100मिली लीटर होनी चाहिए जबकि एक लीटर पानी में बी.ओ.डी (बॉयोकेमिकल ऑक्सीजन डिमाण्ड) की मात्रा 3 मिली ग्राम से कम होनी चाहिए।

एस.एम.एफ के आंकड़ो के मुताबिक जनवरी 2016 में फेकल काली फार्म (प्रदूषक) की संख्या, उत्तर प्रदेश के नगवा कस्बे में धारा के
विपरीत दिशा में 4.5 लाख से बढ़कर फरवरी 2019 में यह आंकड़ा 3.8 करोड हो गयी थी जबकि वही वरूणा नदी में धारा की दिशा में इन प्रदूषकों की संख्या 5.2 करोड़ से बढ़कर 14.4 करोड़ हो गई थी। इसी तरह जनवरी 2016 से फरवरी 2019 के बीच बीओडी का स्तर 46.8-54 मिली ग्राम प्रति लीटर से बढ़कर 66-78 मिली ग्राम प्रति लीटर हो गया
था।

जबकि इसी अवधि में डिसाल्वड ऑक्सीजन (Dissolved Oxygen) का स्तर 2.4 मिली ग्राम प्रति लीटर से घटकर 1.4 मिली ग्राम प्रति लीटर ही रह गया था-हालांकि इसे प्रति लीटर छः (Six) मिली ग्राम या इससे अधिक होना चाहिए। गंगा के पानी में काली फार्म बैक्टीरिया का अधिक मात्रा में होना-मानव स्वास्थ्य के लिए तो चिंताजनक है ही-बल्कि जानवरों के लायक भी नहीं रहा।



परन्तु कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए हमारे प्रधानमंत्री जी द्वारा समय पर कदम उठाने और लॉकडाउन की वजह से देश की आबोहवा पूर्णरूप से बदल चुकी है। भारत में हर तरह के प्रदूषण में अधिकतम कमी आ चुकी है और बाकी बची कमी 3 मई 2020 को अच्छी और उच्चतम श्रेणी में आ चुकी होगी। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की रिपोर्ट के अनुसार प्रथम लॉकडाउन के कारण पावन गंगा नदी का जल फिर से निर्मल होने लगा है, और हो चुका है। रियल टाइम वाटर मोनिटरिंग में गंगा नदी का पानी 36 सेंटरो में 27 में नहाने के उपयुक्त पाया गया। पानी में ऑक्सीजन घुलने की मात्रा (DO) प्रति लीटर 6 एमजी से अधिक है, जबकि बॉयोकेमिकल ऑक्सीजन डिमाण्ड 2 एमजी प्रति लीटर और कुल काली फार्म का स्तर 5000 प्रति 100 एमएल हो गया है। इसके अलावा पीएच का स्तर 6.5 और 8.5 के बीच है जो गंगा नदी में जल की गुणवता की अच्छी सेहत को दर्शाता है।

पचास साल से अधिक तजुर्बा रखने वाले पर्यावरणविद् और BITS-पिलानी से शिक्षा प्राप्त इंजीनियर जे.पी.अग्रवाल-बनारस ने बताया कि ऑर्गेनिक प्रदूषण अभी भी नदी के पानी में घुलकर खत्म हो जाता है लेकिन रासायनिक कचरा घातक किस्म का प्रदूषण है- जो गंगा नदी की खुद को साफ रखने की क्षमता को खत्म कर देता है। अप्रैल के प्रथम सप्ताह के दौरान नदी की खुद को साफ करने की इस क्षमता में अत्यधिक सुधार आया है- जो अप्रैल के अन्त में नदी की खुद को साफ करने की क्षमता लगभग 95% स्तर को छू लेगी। हालांकि घरेलू सीवरेज की गन्दगी
अभी भी नदी में जा रही है-परन्तु इसके बावजूद औद्योगिक कचरा गिरना एकदम बन्द हो गया है।



गंगा नदी की ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश के कल कारखानों से लेकर वाहनों तक से उत्सर्जित होने वाले धुंह पर ताला लग गया तो प्रदेश और देश के पर्यावरण की सेहत एकदम सुधरने लगी। 3 मई 2020 आते-आते हमारा आकाश कितना नीला अम्बर लेकर आयेगा-अनुमान लगाना आंकड़ो का खेल हो गया है।

रोज सूर्योदय के साथ ही किसी अवरोध के धूप की किरण गैंहू की बालियों को सुखाने लगी है। कई 125 मील पर्वत भी नगी आंखों से स्पष्ट दिखने लगा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि 24 घण्टे जहरीला धुँआ उगलने वाली फैक्ट्रियों की चिमनियाँ बन्द पड़ी है और सड़को पर दिन-रात दौड़ने वाले वाहनों के पहिए जाम पड़े है। इससे उत्तर प्रदेश का पर्यावरण कुछ यूरोपीयन देशों की भांति शुद्ध हो गया है। अब पर्यावरणविदों के अनुमान की माने तो प्रदेश के लगभग सभी शहरों की आबोहवा की शुद्धता स्विट्जरलैंड से कम नहीं होगी - नापने पर ज्यादा ही मिलेगी। कोरोना वायरस -

 भारत की गंगा नदी व अन्य नदियों के लिए एक वरदान से कम नहीं है। -डॉ.राम बजाज

गंगा और यमुना के जल में कई जगह 60% से अधिक का सुधार दिख रहा है। इसमें घूलित ऑक्सीजन (Dissolved Oxygen) जो 6 से 7 मिली ग्राम प्रति लीटर का सुधार देखा गया था-जो अब 9-10 मिली ग्राम प्रति लीटर पहुंच गया है। जो काम सरकारें दशकों तक न कर सकी और न ही उनसे कोई उम्मीदें बाकी बची थी - वह 21 दिन के लॉकडाउन ने कर दिखाया है I लॉकडाउन को 3 मई 2020 तक बढ़ाये जाने तक, गंगा-निर्मल और  स्वच्छ हो जायेगी। यह मेरा विश्वास है। बनारस में रहने वाला इंजीनियर जे.पी.अग्रवाल का मानना है कि हवा और जल इतना साफ हो गया है कि उन्हें अपने घरों की छतों से ही दूर हिमालय की धौलधार सफेद पर्वत श्रृंखलाऐं दिखाई देने लगी है। प्रदूषण की वजह से ऐसा नजारा पहले देखने को नहीं मिला।


बी.एच.के केमिकल इंजीनियर प्रो.डॉक्टर पी.के.मिश्रा के मुताबिक कानपुर व वाराणसी में 50% तक गंगा का पानी निर्मल और स्वच्छ हो गया है। उन्होने कहा है कि अगर हम लॉकडाउन के पहले और बाद की हालत का विश्लेषण और नजर डालें तो बदलाव साफतौर पर देखा जा सकता है।


इलेक्ट्रोनिक इंजीनियर एम.एम.कोठारी जयपुर जो कि गंगा नदी के प्रदूषण पर गहरी नजरे रखे हुए है का कहना कि सरकार को आम लोगों और कम्पनियों को समझाते हुए कड़े कदम उठाने होंगे । सरकारों ने जिस तरह कोरोना वायरस के समय पर देश को यह समझाया कि लॉकडाउन किया जाना एक मात्र विकल्प है-उसी तरह गंगा और यमुना को आज जैसी निर्मल नदी का स्वरूप कायम रखना अतिआवश्यक है। लॉकडाउन के दौरान जनता ने जिस तरह अपने आचरण और जीवन को ढ़ाला है-नदी की निर्मलता को रखना संभव है।

अतिमहत्वपूर्ण उपाय और समाधान: एकदम आसान है-

(1) गंगा नदी की सफाई पर 20,000 करोड़ रूपयों की परियोजना का खर्चा गंगा नदी के प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयों को सहायतारूप में देकर-उन्हें कहीं अन्य स्थान पर स्थानान्तरण किया जावे। जब तक यही औद्योगिक इकाईयां हमेशा के लिए बन्द रहेगी।

(2) गंगा - यमुना नदी की लम्बाई में आने वाले प्रत्येक गांवों के भामाशाह और विशेषज्ञों की कमिटियाँ बनाकर सरकारी गठन किया जावे। उनकी गांव की सीमा तक आने वाली गंगा का क्षैत्र का सम्पूर्ण जिम्मा इन्हीं प्रत्येक
कमिटियों को सौंप दिया जावे-जिसमें सरकारी दखलंदाजी बिल्कुल नहीं हो और कार्यकाल तीन वर्ष का हो। सरकारी मद्द, नरेगा मजदूरों की संख्या व उनके कामकाज, पेड़-नदी का प्रवाह व दिशा व तट आदि का सम्पूर्ण जिम्मा प्रत्येक गाँव की कमेटियों का होगा। ढील व ढिलाई, खर्चों में हेराफेरी व अन्य कोई गड़बड़ियों का दण्ड गैर जमानती वारंट के साथ छः महिने की जेल का होगा, जिसमें गंगा को गंदा करने वाले लोगों को कठोर दण्ड की व्यवस्था करें। सुपरवीजन के लिए सरपंच, पटवारी, तहसीलदार, एस.डी.एम और डी.एम रहेंगे। जिनकी ड्यूटी और लापरवाही का दण्ड छः महिनों की जेल से कम नहीं हो । ये अधिकारी अपनी ड्यूटी में कमी का जिम्मा किसी और पर नहीं डाल सकते।

ये दो अति महत्वपूर्ण सुझाव-गंगा को निर्मल करने के लिए काफी है-बाकि प्रधानमंत्री जी स्वयं गंगा की निर्मलता का जिम्मा किसी और सिर्फ एक मंत्री को देवें।

नोटः आपके राज्य की किसी भी नदी, झील एवम् अन्य वाटर बॉडी का अतिसूक्ष्म माक्रोलेवल, आंकलन, विश्लेषण एवम् भविष्य की योजना बनाने के लिए आंकड़े सशर्त उपलब्ध कराए जा सकते है।




Link To My Blog : https://inforambajaj.blogspot.com/

About Author
डॉ.राम बजाज 
साईंटिस्ट
इंजीनियर
इकोनोमिस्ट
लेखक

Email: info@rambajaj.com


Comments

  1. Your Research Is Perfect Sir Thanks For These Perfect Blogs Thanks Thanks Thanks A Lot Sir..

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

"प्रकृति ने ताज महल को कुछ ऐसी अदृस्य खुबिया - न्योच्छावर की है कि ताज को कभी भी बदरंग नही होने देगी। परन्तु मुख्य गुमंद पानी के रिसाव के कारण सुरक्षित नहीं रहेगी A.S.I को चेतावनी।" डॉ. राम बजाज

Warning Report on Taj Mahal by Dr.Ram Bajaj