ताजमहल के मुख्या इमारत पर लगभग एक साल से पौधा उग रहा था। दरारे - ऐतिहासक स्मारक की यह कैसी देखरेख हैं। तीन दिन पहले पानी का रिसाव हुआ था - शाहजहाँ और मुमताज के मक बरे पर। मुख्य गुमंद ( Central Dome ) में दरारे। ध्यान देवे कि पौधे की size - उसकी फैलाव - व लम्बाई चौड़ाई से Botanical Experts का कहना - पौधा लगभग 1.5 ( डेढ़ ) साल से उग रहा था। उत्तर प्रदेश के आगरा में ताजमहल की खूबसूरती पर हो रहे बेरहम हमलों की चपेट से इसकी नक्काशी घायल है. बता दें कि अब यमुना की तरफ मुख्य गुंबद पर पौधा उग आया है. बरसात के मौसम में ताजमहल के बगीचों का तालाब में तब्दील हो जाना, परिसर में लगी झाड़ियों के सहारे कथित पर्यटकों का मूत्र विसर्जन, वॉशरूम की ईमारत में पर्यटकों का अर्धनग्न हालत में घूमना ये वो घटनाएं हैं, जो भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगा रही हैं. The Following Photos are media reports: Source - Google Date - 17 September 2024 Regards Dr. Ram Bajaj Ph.D, B.E. (Civil Engineering) From B.I.T.S, Pilani Environmentalist on Ganga River Technical and Researcher/Experts o
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Warning Report on Taj Mahal by Dr.Ram Bajaj
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14 सितम्बर 2024 के " इंजीनियर्स" दिवस पर बधाई हमने मुख्य गुबन्द और ताजमहल में पानी के रिसाव की चेतावनी वर्ष 2021, 2022, 2023 व 2024 में ASI Agra को दे दी थी - अनदेखी की Courtesy: OneIndia.com The Book & Research done by Dr. Ram Bajaj has – given the awakening calls & warning – warning – warning to the ASI Agra & authority that a serious leakages in the Central Dome and roof of the Taj Mahal – if the serious precautions for its safety and repair will not be taken under the guidance of the experts engineers. Then there is a danger of its safety of Central Dome four minarets & rooms of the basement of Taj Mahal. Courtesy: OneIndia.com Courtesy: OneIndia.com The reasons of these leakages are a scientific engineering reasons and nobody experts has the knowledge to explain - these leakage Scientific & Technically.
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हमारा पर्व होली दिनांक : 24 व 25 मार्च 2024 चमत्कार ही है कि फूलों के रंगों को बदला भी जा सकता है। इस वर्ष 2024 की होली - आप फूलों के प्राकृतिक रंगों के साथ खेलें। आश्चर्य ही नहीं - यह कृषि वैज्ञानिक का चमत्कार ही है कि फूलों के रंगों को बदला जा सकता है ? देखें - महसूस करें। धन्यवाद देना - होली पर भूल सकते है। रंग कैसे बदलें ? मिट्टी का पीएच (pH) फूलों का रंग निर्धारित करता है। अधिक विशेषरूप से , यह एल्यूमीनियम आयनों (Ions) की उपस्थिति और पौधे को एल्यूमीनियम को अवशोषित करने की क्षमता है जो फूलों के रंग को प्रभावित करते है। यदि एल्यूमीनियम मौजूद और उपलब्ध है , क्योंकि यह अधिक अम्लीय मिट्टी में होता है तो फूल नीले होते है। कम अम्लीय या तटस्थ मिट्टी में एल्यूमीनियम - हाइड्रॉक्साइड आयनों (Ions) के साथ मिल जाते है , जिससे यह पौधों के लिए उपलब्ध हो जाता है और फूल गुलाबी हो जाते है। क्रीम या सफेद फूल वाले पौधे मिट्टी के पीएच (pH) से प्रभावित नहीं होते और रंग नहीं बदलते - परन्तु हमें रंगों का आधा गुलाबी कर दिया है। (देखें) - जो असम्भव था। Change systems of respiration thr
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“On Our 75 th Republic Day” देश के नाम एक कृषि क्षेत्र में नई तकनीकी Aim and object of Dr. Ram Bajaj Technology for Triple growth of any Tree/Crops/Plants and its Triple – Production. Special normal technology was adopted to achieve to promote Root Health & development by providing O2 & Nitrogen Air – Oxygen (20%) was made available at the bottom of the roots of the Tree/Crops throughout the day and night with the help of Earthen Pot with various holes. The circulation of the air gas from the top of the atmosphere through species device to creates the low/high pressure at the bottom of the pit as well as above the surface of the bottom of the pit as well as above the surface of the earth with the help of open ended simple plastic water bottle for the creation of low pressure at the top of open bottle – where wind blows with various different velocity of speed. When low pressure at the bottom of the soil / roots of the plants – is created due to the pressure difference betwee